Thursday, November 21, 2013

RAJASTAHAN G.K. - 6

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राजस्थान: पशुधन व डेयरी विकास योजनाएं / Rajasthan: Livestock and Dairy Development Plans

राजस्थान पशुधन निःशुल्क दवा योजना - 15 अगस्त 2012 से प्रारंभ - उद्देश्य: राज्य के 5.67 करोड़ पशुधन (1.21 करोड़ गाएं, 1.11 करोड़ भैंसें, 2.15 करोड़ बकरियां, 1.11 करोड़ भेड़ें, 4.22 लाख ऊंट आदि) हेतु 110 आवश्यक औषधियों (पहले 87) व 13 सर्जिकल मेटेरियल की निःशुल्क उपलब्धता सुनिश्चित करना।

राजस्थान दुग्ध उत्पादक संबल योजना - राज्य सरकार के सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों में दूध की आपूर्ति करने वाले पशुपालकों को राज्य सरकार द्वारा 2 रू. प्रति लीटर की दर सं अनुदान उपलब्ध करवाना।

अविका क्रेडिट कार्ड योजना - केंद्रीय सहकारी बैंकों के माध्यम से वर्ष 2004-05 में प्रारंभ भेंडपालकों को ऋण प्रदान करने की  योजना

अविका कवच येाजना - भेड़पालकों को भेड़ों का बीमा लाभ प्रदान करने की योजना

अविका पाल जीवन रक्षक योजना - भेड़पालकों का बीमा कराने की योजना

अविका रक्षक योजना - भेड़पालकों से संबंधित

गोपाल योजना - विश्व बैंक की सहायता से 2 अक्टूबर 1990 से दक्षिण पूर्वी राजस्थान के 10 जिलों में प्रारंभ गोपाल योजना के तहत पशुधन नस्ल सुधार के माध्यम से पशुपालकों के आर्थिक स्तर में सुधार लाया जाता है।

कामधेनु योजना - गौशालाओं को उन्नत नस्ल के दुधारू पशुओं के प्रजनन केंद्र बनाने हेतु वर्ष 1997-98 में कामधेनु योजना प्रारंभ की गई।

ग्राम आधार योजना का संबंध किससे है - पशुपालन के विकास से

राजस्थान राज्य सहकारी डेयरी फैडरेशन का प्रसिद्ध पैकिंग दूध उत्पाद - ट्रेटापेक

झालरापाटन डेयरी का प्रसिद्ध उत्पाद - पोस्ता बर्फी

आॅपरेशन फ्लड व श्वेत क्रांति का आरंभ वर्ष 1970 में किया गया।

जयपुर स्थित राजस्थान राज्य सहकारी डेयरी फैडरेशन की स्थापना वर्ष 1977 में हुई।

राजस्थान राज्य की सबसे बड़ी डेयरी - रानीवाड़ा डेयरी

जन श्री योजना - दुग्ध उत्पादकों के लिए आरसीडीएकफ द्वारा संचालित बीमा योजना

किस गांव में राजस्थान की पहली महिला दुग्ध उत्पादन सहकारी समिति प्रांरभ की गई - भोजूसर (बीकानेर)

राजस्थान की पहली डेयरी - पदमा डेयरी (अजमेर)

देश की पहली केमल मिल्क डेयरी / ऊंट दुग्ध डेयरी जोड़बीर (बीकानेर) में स्थापित की गई।

कामधेनु योजना वर्ष 1997-98 में प्रांरभ की गई।

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राजस्थान: पशु मेले / Rajasthan: Animal Fairs

राजस्थान में भरे जाने वाले राज्य स्तरीय पशु मेलों की संख्या है - 10 दस

सर्वाधिक राज्य स्तरीय पशु मेले किस जिले में आयोजित होते है - नागौर (3)

वह स्थान जहां सर्वाधिक राज्य स्तरीय पशु मेले आयोजित होते है - झालरापाटन (2)

पुष्कर पशु मेला नवंबर माह में कार्तिक पूर्णिमा को भरता है।

तेजाजी पशु मेला कब भरता है - श्रावण पूर्णिमा से भाद्रपद अमावस्या

नागौर नस्ल के बैलों हेतू प्रसिद्ध रामदेव पशु मेला कब भरता है - माघ शुक्ला 1 से माघ पूर्णिमा तक

सर्वाधिक लंबी अवधि तक अर्थात एक माह तक लगने वाला पशु मेला - गोगामेडी पशु मेला

गोगामेड़ी पशु मेला श्रावण पूर्णिमा से भाद्रपद पूर्णिमा तक भरता है।

हाड़ौती क्षेत्र का सबसे बड़ा व सबसे प्रसिद्ध पशु मेला - गोमती सागर पशु मेला

आमदनी के लिहाज से राजस्थान का सबसे बड़ा पशु मेला/राजस्थान का सबसे बड़ा पशु मेला - वीर तेजाजी पशु मेला, परबतसर

राजस्थान का कौनसा पशु मेला अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका है - पुष्कर पशु मेला

गधों के मेले का आयोजन कहां होता है - लूणियावास (जयपुर)

किस पशु मेले के पश्चात माल मेला आयोजित होता है - महाशिवरात्रि पशु मेला

थारपारकर व काकंरेज नस्ल के क्रय-विक्रय हेतु प्रसिद्ध पशु मेला है - मल्लीनाथ पशु मेला, तिलवाड़ा

कौनसे दो राज्य स्तरीय पशु मेले एक ही दिन (श्रावण पूर्णिमा) से शुरू होते है - गोगामेड़ी व तेजाजी

शेखावाटी का प्रसिद्ध बदराना पशु मेला - नवलगढ (झुंझुनू)

10  राज्य स्तरीय पशु मेले -

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पशु मेला
स्थान
मुख्य नस्ल
01.
पुष्कर
पुष्कर (अजमेर)
गीर
02.
महाशिवरात्रि
करौली
हरियाणवी
03.
मल्लीनाथ
तिलवाड़ा (बाड़मेर)
थारपारकर-कांकरेज
04.
गोमतीसागर
झालरापाटन (झालावाड़)
मालवी
05.
चंद्रभागा
झालरापाटन (झालावाड़)
मालवी
06.
श्री बलदेव
मेड़ता सिटी (नागौर)
नागौरी
07.
वीर तेजाजी
परबतसर (नागौर)
नागौरी
08.
बाबा रामदेव
नागौर
नागौरी
09.
जसवंत
भरतपुर
हरियाणवी
10.
गोगामेड़ी
गोगामेड़ी (हनुमानगढ)
हरियाणवी


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राजस्थान: पशुधन / Rajasthan: Livestock



गाय


दुग्ध व्यवसाय के लिए अत्यंत उपयोगी गाय की वह नस्ल जो लालसिंधि व साहीवाल की मिश्रित नस्ल है - राठी

थारपरकर नस्ल की गायें मूलतः बाड़मेर जिले से संबंधित है।

थारपारकर नस्ल स्थानीय भागों में मालाणी नस्ल के नाम से भी जानी जाती है।

गाय की प्रमुख नस्ले:- कांकरेज (सांचैरी), मालवी, थारपारकर (मालाणी), हरियाणवी, राठी, साहीवाल, लालसिंधि, गिर (रेंडा/अजमेरा), नागौरी, मेवाती (कोठी)

नागौरी बैलों का उत्पति स्थल नागौर का समीपवर्ती सुहालक क्षेत्र माना जाता है।

राजस्थान की कामधेनु के रूप में प्रसिद्ध राठी नस्ल गाय की सर्वश्रेष्ठ नस्ल मानी जाती है।

बैलों की सर्वोतम नस्ल है - नागौरी

राठी नस्ल की गायें मुख्यतः किन किन जिलों में पाई जाती है - गंगानगर-बीकानेर-जैसलमेर

बाड़मेर जिले का मालाणी क्षेत्र में गाय की किस नस्ल की उत्पति स्थल के रूप में प्रसिद्ध क्षेत्र है - थारपारकर

गाय की गीर नस्ल के अन्य नाम - रेंडा/अजमेरा

राजस्थान में पाई जाने वाली गाय की वह नस्ल जो सर्वाधिक दूध देती है - राठी

बोझा ढोने व तेज चलने के लिए प्रसिद्ध गाय नस्ल - कांकरेज

गाय की वे दो नस्ले जो केवल बैलों के लिए पाली जाती है/बैलों हेतु सर्वाधिक प्रसिद्ध दो नस्लें - नागौरी-मालवी

केवल दूध उत्पादन हेतु प्रसिद्ध गाय की दो नस्लें - राठी-गीर

गाय की वह नस्ल जो द्विप्रयोजनार्थ (दूध एवं बैल दोनों हेतु) प्रसिद्ध है - थारपारकर

नागौर नस्ल के बैल कृषि कार्य हेतु सर्वोतम माने जाते है।

राजस्थान के उतरी-पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश में पायी जाने वाली गाय की दो मुख्य नस्लें - राठी व थारपारकर

नस्ल - उत्पति स्थल - क्षेत्र
  • नागौरी - नागौर का समीपवर्ती सुहालक क्षेत्र - नागौर
  • थारपारकर - बाड़मेर का मालाणी क्षेत्र - बाड़मेर-जोधपुर-जैसलमेर
  • कांकरेज - जालोर का सांचैर क्षेत्र - जालौर-सिरोही-पाली-बाड़मेर (द.प. राजस्थान)
  • मालवी - झालावाड़ का मालवी क्षेत्र - झालावाड़-कोटा
  • गीर/अजमेरा/रेंडा - मेवाती
  • राठी - अजमेर-पाली-भीलवाड़ा
  • अलवर-भरतपुर - गंगानगर-बीकानेर-जैसलमेर

भैंस

भैंस की प्रमुख नस्लें:- मुर्रा (खुंडी), भदावरी, सूरती, महेसाना, नागपुरी, मुरादाबादी, जमना, जाफरावादी

भैंस की सबसे श्रेष्ठ नस्ल - मुर्रा (खुंडी)

दक्षिण राजस्थान में पायी जाने वाली भैंस की एक प्रमुख नस्ल - जाफरावादी

सर्वाधिक दूध देने वाली भैंस की नस्ल - मुर्रा (खुंडी)

राजस्थान में मुख्य रूप से भैंस की मुर्रा-महेसाना-जाफरावादी-सूरती नस्लें पाई जाती है।

मुर्रा नस्ल की भैंस राजस्थान के किन-किन जिलों में पाई जाती है - जयपुर-अलवर-भरतपुर (पूर्वी राज.)

सिरोही व जालोर जिलों में पाई जाने वाली भैंस नस्ल - महेसाना

गुजरात के समीपवर्ती क्षेत्र (दक्षिण राज.) में पाई जाने वाली भैंस की नस्लें - जाफरावादी-सूरती

गाय दक्षिणी राजस्थान में जबकि भैंस पूर्वी राजस्थान में सर्वाधिक पाई जाती है।


भेंड़


भेंड़ों की सर्वाधिक संख्या वाले जिले - बाड़मेर-बीकानेर

राजस्थान में भेड़ की किस नस्ल से सर्वाधिक  ऊन प्राप्त होती है - जैसलमेरी

भेड़ की कौनसी नस्ल भारतीय मैरिनों कहलाती है - चौकला

किस नस्ल की भेड़ से सर्वाधिक लंबे रेशे की ऊन प्राप्त होती है - मगरा

सन् 1962 में केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर में स्थापित किया गया।

राजस्थान में किस नस्ल की भेड़ों की संख्या सर्वाधिक है - मारवाड़ी

भेड़ की द्विप्रयोजनीय नस्लें - सोनाड़ी-मालपुरा

सर्वाधिक दूध देने वाली भेड़ - सोनाड़ी

दक्षिण राजस्थान में पाई जाने वाली भेड़ की प्रमुख नस्ल - सोनाड़ी

अच्छी किस्म की मेरिनो ऊन के लिए प्रसिद्ध भेड़ - चौकला

उतरी राजस्थान में पायी जाने वाली प्रमुख भेड़ - नाली

क्राॅस ब्रीडिग के माध्यम से विकसित भेड़ नस्लें - चौकला-सोनाड़ी-मालवुरा

75 प्रतिशत काले व 25 सफेद मुंह वाली बागड़ी नस्ल की भेड़ किस जिले में पाई जाती है - अलवर

राजस्थान में भेड़ की वह नस्ल जिसकी ऊन सर्वोतम होती है - चौकला

लंबी दूरी तय करने व अधिक समय तक निरोग रहने के लिए प्रसिद्ध भेड़ नस्ल - मारवाड़ी

जैसलमेरी भेड़ की ऊन से गलीचे व मगरा भेड़ की ऊन से कालीन बनाए जाते है।

भारत की लगभग 25 प्रतिशत भेड़ें राजस्थान में पाई जाती है।

नस्ल - क्षेत्र
  • चौकला - चुरू-झुंझुनू-सीकर (शेखावाटी)
  • मगरा (बीकानेरी चैकला) - जैसलमेर-बाड़मेर-बीकानेर-नागौर-चुरू
  • जैसलमेरी - जैसलमेर-बाड़मेर-जोधपुर
  • नाली - गंगानगर-हनुमानगढ-चुरू-झुंझुनू
  • पूगल - बीकानेर-जैसलमेर
  • मालपुरा (देशी नस्ल) - अजमेर-टोंक-भीलवाड़ा
  • सोनाड़ी (चनोथर) - जोधपुर-नागौर-पाली के घुमक्कड़ रेवड़ों में
  • बागड़ी - अलवर
बकरी
राजस्थान में बकरी की प्रमुख नस्लें - शेखावाटी, मारवाड़ी, जमनापरी, बड़वारी, अलवरी (जखराना), सिरोही, लोही, झरवाड़ी

बकरी की किस नस्ल का विकास काजरी के वैज्ञानिकों ने किया - शेखावाटी

नागौर जिले का वह स्थान जहां की बकरियां प्रसिद्ध है - बगरू (वरूण)

राजस्थान में बकरी की वह नस्ल जो सर्वाधिक दूध देती है एवं बहरोड़ (अलवर) में पायी जाती है - जखराना (अलवरी)

बकरी की सर्वाधिक सुंदर नस्ल - बारबरी

किस नस्ल की बकरी के सींग नहीं होते है - शेखावाटी

राजस्थान में बकरी की सर्वश्रेष्ठ नस्ल एवं सर्वाधिक दूध देने वाली नस्ल - जखराना

बकरी की सर्वाधिक सुंदरता नस्ल वाली बारबरी किस क्षेत्र में पाई जाती है - पूर्वी राजस्थान

राजस्थान में संपूर्ण भारत की लगभग 28 प्रतिशत बकरियां पाई जाती है।

मांस उत्पादन के लिए बकरी की कौनसी नस्ल विशेष रूप से जानी जाती है - लोही

दूध उत्पादन के लिए बकरी की कौनसी नस्ल प्रसिद्ध है - झखराना

बकरी की परबतसर नस्ल हरियाणा की बीटल व राजस्थान की सिरोही नस्ल का मिश्रण है।

बरबरी नस्ल की बकरी पूर्वी राजस्थान में पाई जाती है।

भेड़ एवं बकरी दोनों में ही राजस्थान देश में दूसरा स्थान रखता है।

मांस उत्पादन के लिए बकरी की दो सर्वाधिक प्रसिद्ध नस्लें - लोही-मारवाड़ी

ऊंट
सन् 1984 में केंद्रीय ऊंट प्रजनन केंद्र कहां स्थापित किया गया - जोड़बीर (बीकानेर)

ऊंट पालन की दृष्टि से राजस्थान में देश में प्रथम स्थान है।

ऊंट पालक जाति - रेबारी

ऊंट पालन की दृष्टि में राजस्थान के दो प्रमुख जिले - बाड़मेर-बीकानेर

जैसलमेर जिले का वह स्थान जहां के ऊंट विश्वभर में प्रसिद्ध है - नाचना

सवारी की दृष्टि से किस स्थान का ऊंट सर्वश्रेष्ठ माना जाता है - गोमठ (फलौदी)

बोझा ढोने व तेज चलने के लिए ऊंट की सर्वश्रेष्ठ नस्ल है - बीकानेरी

नांचना का ऊंट जैसलमेर जिले में पाया जाता है।

राजस्थान में संपूर्ण भारत के 65-70 प्रतिशत ऊंट पाये जाते है।

राजस्थान में ऊंटों की सर्वाधिक संख्या पश्चिमी जिलों में है।

राजस्थान में पाई जाने वाली ऊंटों की नस्लें - जैसलमेरी-बीकानेरी (मुख्य)-कच्छी-सिंधी

कच्छी नस्ल का संबंध किस पशु से है - ऊंट

स्थान की दृष्टि से नाचना का ऊंट जबकि नस्ल की दृष्टि से कच्छी नस्ल का ऊंट सबसे अच्छा माना जाता है।

मतवाली चाल के लिए जैसलमेरी ऊंट प्रसिद्ध है।

भारत के 50 प्रतिशत ऊंट बीकानेरी नस्ल के है।

ऊंटों में होने वाला प्रमुख रोग - सर्रा (तिवरसा)

अन्य

बाड़मेर का मालानी क्षेत्र किस पशु की उपलब्धि के आधार पर अपनी विशिष्ट पहचान रखता है - घोड़ा

बाड़मेर जिले की सिवाना तहसील मालानी नस्ल के घोड़ों के लिए प्रसिद्ध है।

घोड़ों की सर्वाधिक संख्या वाले दो जिले - बाड़मेर-जालोर

कुक्कुट (मुर्गी) पालन की दृष्टि से अग्रणी जिला है - अजमेर

मुर्गीपालन प्रशिक्षण संस्थान - अजमेर

राजस्थान का राज्य पशु चिंकारा (चैसिंगा हिरण) राजस्थान के किस भाग में सर्वाधिक पाया जाता है - दक्षिणी

बकरे व नागौरी बैलों के लिए नागौर जिले की परबतसर तहसील का बाजवास गांव प्रसिद्ध है।

राजस्थान का सबसे बड़ा ऊन उत्पादक जिला - जोधपुर

पशुधन की दृष्टि से राजस्थान का देश में दूसरा स्थान है।

सर्वाधिक पशु संख्या वाला जिला - बाड़मेर

सर्वाधिक पशु घनत्व वाला जिला - डूंगरपुर

पिछली पशु गणना - 2007 में

दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान के दो प्रमुख जिले - जयपुर-गंगानगर

राजस्थान में सर्वाधिक संख्या में पाया जाने वाला पशु है - बकरी

देश के कुल पशुधन का 11.2 प्रतिशत राजस्थान में है।

पश्चिमी राजस्थान में किस पशु पर आर्थिक निर्भरता सर्वाधिक है - भेड़

राजस्थान की अर्थव्यवस्था में पशुधन का योगदान है - लगभग 5 प्रतिशत

राजस्थान के मरूस्थली क्षेत्रों में लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत/साधन है - पशुपालन

केंद्रीय पशु प्रजनन केंद्र - सूरतगढ

केंद्रीय पशुधन अनुसंधान संस्थान - सूरतगढ

राजस्थान का एकमात्र पशु विज्ञान एवं चिकित्सा महाविद्यालय - बीकानेर

राजस्थान का एकमात्र दुग्ध विज्ञान एवं टेक्नाॅलोजी महाविद्यालय - उदयपुर

केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड - जोधपुर

केंद्रीय ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला - बीकानेर

शीप एंड वूल ट्रेनिंग संस्थान - जयपुर

एशिया की सबसे बड़ी ऊन मंडी - बीकानेर

राजस्थान देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 9-10 प्रतिशत भाग उत्पादित कर तीसरे स्थान पर है।

ऊन उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का सबसे अग्रणी जिला - जोधपुर

राजस्थान में ऊंटों की संख्या समस्त पशुधन संख्या का मात्र 1 प्रतिशत है।

राजस्थान में सर्वाधिक संख्या में पाये जाने वाले चार पशु (क्रमशः) - बकरी-गाय-भैंस-भेड़

समस्त राजस्थान की 65 प्रतिशत से अधिक भेंड़े व 80 प्रतिशत ऊंट उतरी व पश्चिमी राजस्थान में पाये जाते है।

किस पशु की दृष्टि से राजस्थान का देश में एकाधिकार है - ऊंट

गाय-भैंस-भेड़-बकरी की सर्वाधिक दूध देने वाली नस्लें - राठी-मुर्रा-सोनाड़ी-जखराना

पशु नस्ल के आधार पर राजस्थान को दस भागों में बांटा जा सकता है।

राजस्थान संपूर्ण देश की लगभग 40 प्रतिशत ऊन उत्पादित कर प्रथम स्थान पर है।
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राजस्थान: भौगोलिक उपनाम / Rajasthan: Geographical Nicknames

अभ्रक की मंडी - भीलवाड़ा

आदिवासियों का शहर - बांसवाड़ा

अन्न का कटोरा - श्री गंगानगर

औजारों का शहर - नागौर

आइसलैंड आॅफ ग्लोरी/रंग श्री द्वीप - जयपुर

उद्यानों/बगीचों का शहर - केाटा

ऊन का घर - बीकानेर

ख्वाजा की नगरी - अजमेर

गलियों का शहर - जैसलमेर

गुलाबी नगरी - जयपुर

घंटियों का शहर - झालरापाटन

छोटी काशी/दूसरी काशी - बूंदी

जलमहलों की नगरी - डीग

झीलों की नगरी - उदयपुर

वस्त्र नगरी - भीलवाड़ा

थार का घड़ा - चंदन नलकूप, जैसलमेर

थार का कल्पवृक्ष - खेजड़ी

देवताओं की उपनगरी - पुष्कर

नवाबों का शहर - टोंक

पूर्व का पेरिस/भारत का पेरिस - जयपुर

पूर्व का वेनिस - उदयपुर

पहाड़ों की नगरी - डूंगरपुर

भक्ति/शक्ति व साधना की नगरी - मेड़ता सिटी

मूर्तियों का खजाना - तिमनगढ, करौली

मरूस्थल की शोभा/मरू शोभा - रोहिड़ा

राजस्थान की मरू नगरी - बीकानेर

राजस्थान का हदृय/दिल - अजमेर

राजस्थान का गौरव - चितौड़गढ

राजस्थान का प्रवेश द्वार (गेटवे आॅफ राज.) - भरतपुर

राजस्थान का सिंह द्वार - अलवर

राजस्थान का अन्न भंडार - गंगानगर

राजस्थान की स्वर्ण नगरी (गोल्ड सिटी) - जैसलमेर

राजस्थान की शैक्षिक राजधानी - अजमेर

राजस्थान का कश्मीर - उदयपुर

राजस्थान का काउंटर मैगनेट - अलवर

राजस्थान की मरूगंगा - इंदिरा गांधी नहर

पश्चिम राजस्थान की गंगा - लूनी नदी

राजस्थान की मोनालिसा - बणी-ठणी

रेगिस्तान का सागवान - रोहिड़ा

राजस्थान का खजुराहो - किराडू

राजस्थान का मिनी खजुराहो - भंडदेवरा

हाड़ौती का खजुराहो - भंडदेवरा

मेवाड़ का खजुराहो - जगत

राजस्थान का कानपुर - कोटा

राजस्थान का नागपुर - झालावाड़

राजस्थान का राजकोट - लूणकरणसर

राजस्थान का स्काॅटलेंड - अलवर

राजस्थान का नंदनकानन - सिलीसेढ झील, अलवर

राजस्थान की धातुनगरी - नागौर

राजस्थान का आधुनिक विकास तीर्थ - सूरतगढ

राजस्थान का पंजाब - सांचैर

राजस्थान की अणु नगरी - रावतभाटा

राजस्थान का हरिद्वार - मातृकंुडिया, चितौड़गढ

राजस्थान का अंडमान - जैसलमेर

रेगिस्तान/मरूस्थल का गुलाब - जैसलमेर

राजपूताना की कूंजी - अजमेर

राजस्थान का नाका/मुहाना - अजमेर

राजस्थान का मैनचेस्टर - भीलवाड़ा

राजस्थान का नवीन मैनचेस्टर - भिवाड़ी

➲ राजस्थान का जिब्राल्टर - तारागढ, अजमेर

राजस्थान का ताजमहल - जसवंतथड़ा, जोधपुर

राजस्थान का भुवनेश्वर - ओसियां

राजस्थान की साल्ट सिटी - सांभर

राजस्थान की न्यायिक राजधानी - जोधपुर

राजस्थान का चेरापूंजी - झालावाड़

राजस्थान का ऐलोरा - केालवी, झालावाड़

राजस्थान का जलियावाला बाग - मानगढ, बांसवाड़ा

राजस्थान का शिमला - मा. आबू

राजस्थान का पूर्वीद्वार - धौलपुर

रत्न नगरी - जयपुर

वराह नगरी - बारां

वर्तमान नालंदा - कोटा

लव-कुश की नगरी - सीताबाड़ी, बारां

शिक्षा का तीर्थ स्थल/शैक्षिक नगरी - कोटा

समस्त तीर्थस्थलों का भांजा - मचकुंड, धौलपुर

सूर्य नगरी (सन सिटी आॅफ राजस्थान) - जोधपुर

सुनहरा त्रिकोण - दिल्ली-आगरा-जयपुर

मरू त्रिकोण - जोधपुर-जैसलमेर-बीकानेर

सौ द्विपों का शहर - बांसवाड़ा

हेरिटेज सिटी - झालरापाटन

हरिण्यकश्यप की राजधानी - हिंडौनसिटी

हवेलियों का शहर - जैसलमेर

पीले पत्थरों का शहर - जैसलमेर

सैलानी नगरी - जैसलमेर

भारत का मक्का - अजमेर

प्राचीन राजस्थान का टाटानगर - रेढ , टोंक

स्वतंत्रता प्रेमियों का तीर्थ स्थल - हल्दीघाटी

भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोष - विजय स्तंभ

म्यूजियम सिटी - जैसलमेर

मरूस्थल का प्रवेश द्वार - जोधपुर

बावड़ियों का शहर (सिटी आॅफ स्टेप वेल्स)- बूंदी

पूर्वी राजस्थान का कश्मीर - अलवर

पत्थरों का शहर - जोधपुर

ब्ल्यू सिटी (नीली नगरी) - जोधपुर

मारवाड़ का लघु मा. आबू - पीपलूद, बाड़मेर

भारतीय बाघों का घर - रणथंभौर

ग्रेनाइट सिटी - जालौर

मारवाड़ का सागवान - रोहिड़ा

पहाड़ों की रानी - डूंगरपुर

पानी,पत्थर व पहाड़ों की पुरी - उदयपुर

भक्ति व शक्ति की नगरी - चितौड़गढ

महाराजा रंतिदेव की नगरी - केशोरायपाटन

काॅटन सिटी - सूरतगढ

राजस्थान की संतरा नगरी - झालावाड़

राजस्थान की वस्त्र नगरी - भीलवाड़ा

रेड डायमंड (लाल हीरा) - धौलपुर

मारवाड़ का अमृत सरोवर - जवाई बांध

फाउंटेन व मांउटेन का शहर - उदयपुर

मेवाड़ का हरिद्वार - मातृकुंडिया
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